हमारे देश में उत्तर प्रदेश का विशेष राजनैतिक तथा सामाजिक महत्त्व है क्योंकि प्रदेश में सर्वाधिक जनसंख्या निवास करती है! ऐसी स्तिथि में शहरों से लेकर सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों तक किसी भी योजना को लागू करना अथवा स्वस्थ्य सेवाएं मुहैया कराना अत्यंत दुर्लभ कार्य है! आज सबसे बड़ी समस्या लोगों की निरक्षरता ग्रामीण परिवेष एवं अन्धविश्वास है!
निरक्षरता के चलते लोग अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति सजग नहीं है जिससे अनेक योजनाएं कागजों पर ही दम तोड़ देती है. ग्रामीण परिवेष का अवलोकन करें तो पता चलता है कि लोगों को स्वास्थ्य अथवा शिक्षा से ज्यादा मतलब ही नहीं है! वे केवल अपने बच्चों से खेतों में काम करवाना अधिक पसंद करते हैं. उनका मानना है कि - 'यही मेरा संसार है' और पूछने पर कुछ इस प्रकार उत्तर देते हैं जैसे 'जीना यहाँ मारना यहाँ , इसके सिवा जाना कहाँ'! मानो उनकी दुनियां बस खेत खलिहान तक ही सीमित हो गयी है!
अक्सर अंधविश्वास एवं अफवाहों के चलते वे भ्रमित होकर सामाजिक दायित्वों का निर्वाह तक नहीं करते!
अभी हाल ही में मोहनलाल गंज में टीकाकरण से हुई मौतों ने प्रदेश से लेकर केंद्र तक हलचल मचा राखी है! चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, दोनों एक दूसरे पर दोषारोपण कर अपना अपना पल्ला झड़ने में लगे हैं!
राज्य सरकार ने टीकाकरण में प्रयुक्त दवाइयों को खराब बता दिया तथा पूरे प्रदेश में टीकाकरण को ही रोक दिया जबकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जाँच टीम ने टीकों को सही बताते हुए व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है! यदि टीकाकरण चालू नहीं किया गया तो राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एन आर एच एम योजना ) ही बंद न हो जाये जिससे बाढ़ तथा वर्षा जनित विमारियों का प्रकोप अधिक हो सकता है!
ऐसी विषम परिस्थितियों में केंद्र तथा राज्य सरकार को चाहिए कि इस प्रकार कि दुर्घटनाओं के सही कारणों को खोजकर उनका निदान किया जाये ताकि हम और हमारा देश स्वास्थ्य संरक्षण के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर हो!